किसी फिल्म की कहानी तभी तक अच्छी लगती है जब तक हम उसकी कहानी को Predict नहीं कर लेते ।
बचपन भी शायद इसीलिए उत्साहवर्धक होता है क्योंकि तब हम कम जानते थे ।
दोस्त, रिश्तेदार तभी तक अच्छे लगते हैं जब तक हम उन्हें कम जानते हैं ।
एक समय के बाद हम खुद को इतनी अधिक सुरक्षा के घेरे में डाल लेते हैं कि फिर बस खुद को सुरक्षित ही करते रह जाते हैं, जीवन का आनंद नहीं ले पाते ।
ये बात भी बहुत बाद में समझ आती है कि आप कितना भी हाथ पैर पटक लें, कितना भी कुछ कर लें, जीवन में बहुत कुछ पहले से तय है । इसलिए ये जरूरी है कि जितना हो सके जीवन का आनंद लें ।
आप खुद को कितना भी सुरक्षित कर लें, परन्तु यदि आपके पूर्व कर्म ठीक नहीं थे तो आपका कर्मफल आपको ठीक वैसे है ढूंढ लेगा, जैसे हजारों गायों के समूह में बछड़ा अपनी मां को ढूंढ लेता है । इसलिए कुछ करना ही है तो अच्छे कर्म करें, अगर ये भी न कर सकें तो खुद को बुरे कर्मों में लिप्त होने से, और अपने मन को ईर्ष्या, द्वेष जैसी भावनाओं से बचाएं ।
Life With Rahul