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Wednesday, March 23, 2022

Overthinking की समस्या एवं समाधान

ओवर थिंकिंग :-
बहुत ज्यादा या लगातार सोचते रहने,
अक्सर नकारात्मक विचारों में डूबे रहना,
जिंदगी से बार-बार शिकायत करना,
अपने अंदर के उत्साह और उमंग को मरता हुआ महसूस करना,

लक्षण:-
- खुद से बार-बार सवाल पूछना जैसे, ये होगा तो क्या होगा?
- ऐसी बातों के बारे में सोचना जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है। 
- लोगों से कही गई पुरानी बातों के बारे में सोचना।
- ये सोचना कि, काश ये न किया होता या काश ये न कहा होता।
- अपनी गलतियों के बारे में लगातार सोचते रहना। 
- किसी की कही गई बात को दिमाग में लगातार लेकर घूमते रहना। 
- आसपास की बातों से बेखबर होकर उधेड़-बुन में लगे रहना। 
- दिमाग में बार-बार शर्मिंदा करने वाले पलों का याद आना।
- सोने में परेशानी होना क्योंकि लगता है कि दिमाग बंद नहीं होगा।
- बीती बातों या घटनाओं में छिपे अर्थ को तलाशने में ढेर सारा समय खर्च करना।
- बीते कल या आने वाले कल की चिंता को लेकर बहुत ज्यादा सोचना।
- अपनी परेशानियों और चिंताओं को मन से निकाल नहीं पाना। 

समाधान:- 

1) अपने वर्तमान के कार्य पर focus कीजिए, उसे 

2) वर्तमान में रहिये, बस वर्तमान को बेहतर बनाने पर Focus कीजिए । वर्तमान के कार्य को पूर्ण करने पर ध्यान लगाइए, भविष्य के परिणाम की उधेड़बुन में न फंसे ।
वैसे भी भूत को आप बदल नहीं सकते और भविष्य को आप नियंत्रित नहीं कर सकते, आप सिर्फ अपने वर्तमान को प्रबंधित कर सकते हैं अपनी आदतों को नियंत्रित कर सकते हैं और यही प्रबन्धन और नियंत्रण एक सुखी और बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा । 
 "भूतकाल में मत उलझो, भविष्य के सपने मत देखो वर्तमान पर ध्यान दो, यही ख़ुशी का रास्ता है।"

3) विचारों का काम है दिमाग में तैरना। अगर आप सोचें के आप अपने विचारों को कंट्रोल कर लेंगे, तो आप गलत सोच रहे हैं। दिमाग में तो हर समय तरह-तरह के विचार आते ही रहेंगे, क्यूंकि दिमाग का काम यही है। लेकिन आपका काम हर समय उन विचारों पर तवज्जो देना नहीं है। दिमाग अपना काम कर रहा है, आप अपना काम करिये। नार्मल रहिये, थोड़े समय में विचार और फ़ीलिंग्स स्वयं ही बदल जाएंगे। 

4) अगर आपको अक्सर नकारात्मक विचार ही ज्यादा आते हैं, तो उनको बदलने का भी उपाय है। आप सिर्फ़ पॉजिटिव बातें ही सोचिए और बोलिये। आपका दिमाग शुरू-शुरू में आपका विरोध करेगा, लेकिन धीरे-धीरे उसको भी पाजिटिविटी की आदत पड़ जाएगी।

5) अच्छा एक कहानी से शायद आप मेरी बात को बेहतर समझ पाएं - 

किसी जंगल मे एक गर्भवती हिरणी थी जिसका प्रसव होने को ही था . उसने एक तेज धार वाली नदी के किनारे घनी झाड़ियों और घास के पास एक जगह देखी जो उसे प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान लगा. अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी, लगभग उसी समय आसमान मे काले काले बादल छा गए और घनघोर बिजली कड़कने लगी जिससे जंगल मे आग भड़क उठी .
वो घबरा गयी उसने अपनी दायीं और देखा लेकिन ये क्या वहां एक बहेलिया उसकी और तीर का निशाना लगाये हुए था, उसकी बाईं और भी एक शेर उस पर घात लगाये हुए उसकी और बढ़ रहा था अब वो हिरणी क्या करे ?,
वो तो प्रसव पीड़ा से गुजर रही है ,
अब क्या होगा?, 

क्या वो सुरक्षित रह सकेगी?,
क्या वो अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ?,
क्या वो नवजात सुरक्षित रहेगा?,
या सब कुछ जंगल की आग मे जल जायेगा?, 

अगर इनसे बच भी गयी तो क्या वो बहेलिये के तीर से बच पायेगी ?
या क्या वो उस खूंखार शेर के पंजों की मार से दर्दनाक मौत मारी जाएगी?
जो उसकी और बढ़ रहा है, 

उसके एक और जंगल की आग, दूसरी और तेज धार वाली बहती नदी, और सामने उत्पन्न सभी संकट, अब वो क्या करे? 

लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपने नव आगंतुक को जन्म देने की और केन्द्रित कर दिया .
फिर जो हुआ वो आश्चर्य जनक था . 

कडकडाती बिजली की चमक से शिकारी की आँखों के सामने अँधेरा छा गया, और उसके हाथो से तीर चल गया और सीधे भूखे शेर को जा लगा . बादलो से तेज वर्षा होने लगी और जंगल की आग धीरे धीरे बुझ गयी. इसी बीच हिरणी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म दिया . 

ऐसा हमारी जिन्दगी मे भी होता है, जब हम चारो और से समस्याओं से घिर जाते है, नकारात्मक विचार हमारे दिमाग को जकड लेते है, कोई संभावना दिखाई नहीं देती , हमें कोई एक उपाय करना होता है.,
उस समय कुछ विचार बहुत ही नकारात्मक होते है, जो हमें चिंता ग्रस्त कर कुछ सोचने समझने लायक नहीं छोड़ते .
ऐसे मे हमें उस हिरणी से ये शिक्षा मिलती है की हमें अपनी प्राथमिकता की और देखना चाहिए, जिस प्रकार हिरणी ने सभी नकारात्मक परिस्तिथियाँ उत्पन्न होने पर भी अपनी प्राथमिकता "प्रसव "पर ध्यान केन्द्रित किया, जो उसकी पहली प्राथमिकता थी.
बाकी तो मौत या जिन्दगी कुछ भी उसके हाथ मे था ही नहीं, और उसकी कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया उसकी और गर्भस्थ बच्चे की जान ले सकती थी
उसी प्रकार हमें भी अपनी प्राथमिकता की और ही ध्यान देना चाहिए .
हम अपने आप से सवाल करें,
हमारा उद्देश्य क्या है, हमारा फोकस क्या है ?,
हमारा विश्वास, हमारी आशा कहाँ है,
ऐसे ही मझधार मे फंसने पर हमें अपने इश्वर को याद करना चाहिए ,
उस पर विश्वास करना चाहिए जो की हमारे ह्रदय मे ही बसा हुआ है .
जो हमारा सच्चा रखवाला और साथी है 

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