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Tuesday, March 15, 2022

“इतिहास तब तक रुचिकर लगता है जब तक वह दृढ़तापूर्वक सत्य रहता हैं।”

भूतकाल में हुई घटनाओं के आंकलन से ही हम अपने वर्तमान की नीतियों का निर्माण करते हैं, जिससे एक स्थिर और बेहतर भविष्य का निर्माण संभव होता है ।
लेकिन दुर्भाग्यवश, प्राचीन से लेकर आधुनिक भारत के इतिहास की कितनी ही अनकही गाथाएं लोगों तक कभी पहुंची ही नहीं ।
#The_kashmir_files ऐसी ही एक घटना को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास है ।
ऐसा नहीं है कि कश्मीर के जिस सत्य को हम जानते हैं वह भी पूर्णतः असत्य है, बल्कि वह अधूरा सत्य है ।
यह अधूरा सत्य अभी से नहीं, अपितु वर्षों से हम सभी को परोसा जा रहा है, और जो इतिहास हमें 2,3 लाइन में समेट कर पढ़ाया गया है, वह उससे कहीं अधिक विस्तृत और विकराल है ।
विश्व की सबसे उत्तम शासन व्यवस्था, सर्वप्रथम लोकतंत्र की संकल्पना, विजयनगर साम्राज्य जैसे दक्षिण भारत के इतिहास को मध्यकालीन भारतीय इतिहास में बहुत अल्प स्थान प्राप्त हुआ है, वहीं दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य के इतिहास से आधे भारतीय इतिहास को भर दिया गया ।
आपको शायद याद होगा ब्रिटिश काल में भारतीय पुनर्जागरण के आरंभ का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण यह भी था, कि जिस इतिहास को हम हजार साल में लगभग भूल चुके थे, 20वीं सदी में ब्रिटिश लोगों के खोजी प्रवत्ति और भारतीय महापुरषों की तत्परता के कारण वह इतिहास एक बार फिर से जन-जन तक पहुंच गया । जिससे उनमें एक गर्व की जो क्रांति संचारित हुई फिर वो 1947 में जा कर ही रुकी ।
परंतु आजादी के बाद भी वास्तविक इतिहास केवल उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों तक ही सीमित रहा गया ।
सामान्य जनमानस फिर उस इतिहास से अनभिज्ञ रह गया ।
जो इतिहास को भली भांति समझते हैं उनका ये नैतिक दायित्व है कि जनमानस तक सही इतिहास को पहुंचाने का प्रयास करें ।







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