भोपाल में 5 सदस्यों के एक पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली । पहले जो बात सामने आयी उसके अनुसार कर्ज न चुका पाने के कारण उस परिवार ने यह कदम उठाया, परंतु बाद की जांच के बाद यह पता लगा कि उस परिवार के पास उस कर्ज के मुकाबले 5 गुना से अधिक अचल संपत्ति थी ।
तो फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया, जांच में पता लगा की कर्जदारों ने रोज-रोज उनके घर आकर उस परिवार का इतना अधिक अपमान किया कि उस परिवार को फिर इस अपमान के साथ इस समाज में अपना शेष जीवन व्यतीत करना उचित नहीं लगा ।
पुलिस ने अपनी कार्यवाही की और इन कर्ज देने वालों को गिरफ़्तार कर लिया ।
पर मेरा प्रश्न यहां यह है कि क्या वास्तव में उस परिवार की मौत के जिम्मेदार केवल वही कर्जदार थे ??? नहीं !
उनकी मौत के जिम्मेदार उनके पडोस और मौहल्ले वाले भी थे, जिन्होंने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि रोज-रोज कोई क्यों उस परिवार का अपमान पूरे मोहल्ले के सामने कर के जा रहा है।
वो सभी सगे-संबंधी, दोस्त, रिश्तेदार भी इस मौत के लिए जिम्मेदार हैं जो इस मामले को सुलझाने में उस परिवार की मदद कर सकते थे ।
वो मदद भी सिर्फ साथ खड़े रहने की थी, क्योंकि पैसा चुकाने में वो परिवार स्वयं सक्षम था ।
पता नहीं हमने ये कैसे समाज का निर्माण कर लिया है । सोशल मीडिया पर Good-Morning मैसेज के साथ ही बड़ी-बड़ी ज्ञान की बातों से दिन को शुरू करने के बावजूद भी हम सभी के अंदर इतनी असंवेदनशीलता कहां से आ गई ।
हमारे घर के सामने वाले घर में कोई आत्महत्या कर लेता है और हम यह सोच लेते हैं कि उस घटना का हमसे कोई संबंध नहीं है ।
संबंध है, अगर आपने एक बार अपना ज्ञान सोशल मीडिया पर शेयर करने के साथ-साथ उस व्यक्ति के साथ भी शेयर कर लिया होता तो शायद वो भी आज जीवित होता ।
हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर किसी पोस्ट के Comment box खोलता खून अगर उन गुंडों पर भी ज़ाहिर हो जाता तो शायद वो परिवार आज जीवित होता ।
😕😞
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